भारत
Delhi में हल्की बारिश से जलभराव की समस्या शुरू, यातायात प्रभावित
Shantanu Roy
28 Jun 2024 4:09 PM GMT
x
देखें VIDEO...
New Delhi. नई दिल्ली। राजधानी में हल्की वर्षा से ही जलभराव की समस्या शुरू हो जाती है। कुछ दो-तीन घंटे वर्षा होने पर जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हो जाती है। सड़कों पर पानी भरने से यातायात व्यवस्था पूरी तरह से चरमराने लगती है। मथुरा रोड, विकास मार्ग, एनएच 24 के सर्विस लेन, महिपालपुर रोड, लाला लाजपत राय मार्ग सहित 45 से अधिक प्रमुख सड़कों पर यह समस्या होती है। इसका मुख्य कारण अनियोजित विकास, जल निकासी प्रणाली की कमी व उसके रखरखाव का अभाव और त्रुटिपूर्ण सड़कों की बनावट है। दिल्ली में वर्षा के पानी की निकासी के लिए अलग से पाइपलाइन नहीं है। सीवर लाइन और नालों के माध्यम से यह वर्षा का पानी यमुना तक पहुंचता है। रखरखाव और नियमित सफाई के अभाव के कारण वर्षा के दिनों में 50 प्रतिशत से अधिक सीवर लाइन में ओवरफ्लो की समस्या शुरू हो जाती है। इसी तरह से नालों की भी ठीक से सफाई नहीं होती है। इस कारण इससे भी वर्षा का पानी बाहर नहीं निकल पाता है। वर्षा के कारण जलजमाव की समस्या पर वर्ष 2018 में हाईकोर्ट ने नाराजगी जताने के साथ अधिकारियों को फटकार लगाई थी, परंतु छह वर्ष बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं है। दिल्ली को विश्व स्तरीय शहर बनाने की बात की बात तो होती है।
#WATCH दिल्ली: आईटीओ और दरियागंज से ट्रैफिक जाम और जलभराव का वीडियो। pic.twitter.com/5q3BVj2Z65
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 28, 2024
परंतु जल निकासी व्यवस्था सुधारने के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं हो रहा है। पिछले 15 वर्षों से आदेश व अध्ययन से बात आगे नहीं बढ़ सकी है। वर्ष 1911 में दिल्ली का पहला मास्टर ड्रेनेज प्लान तैयार किया गया था। वर्ष 1968 में इसकी समीक्षा हुई और वर्ष 1976 में ड्रेनेज प्रणाली तैयार की गई थी। उस समय दिल्ली की जनसंख्या थी 60 लाख। अब जनसंख्या तीन करोड़ के करीब है। बढ़ी हुई जनसंख्या, आवासीय, व्यवसायिक व औद्योगिक क्षेत्रों की जरूरत के अनुसार इसमें बदलाव नहीं किया गया। पुरानी व्यवस्था दिल्ली की ड्रेनेज समस्या के समाधान के लिए वर्ष 2009 में तत्कालीन उपराज्यपाल तेजेंद्र खन्ना ने सिविक एजेंसियों को ड्रेनेज सिस्टम का नया मास्टर प्लान बनाने का निर्देश दिया था। इस काम की शुरुआत करने में ही तीन वर्ष लग गए थे। वर्ष 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने आईआईटी दिल्ली को यह काम सौंपा था। लगभग चार वर्षों बाद आईआईटी ने इसकी ड्राफ्ट रिपोर्ट और वर्ष 2018 में अंतिम रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी। रिपोर्ट में बरसाती नालों में सीवेज गिरने पर रोक लगाने, सीवेज लाइन व वर्षा का पानी यमुना तक ले जाने के लिए अलग व्यवस्था करने, बरसाती नालों की देखरेख एक एजेंसी को देने की सलाह दी गई थी। वर्तमान में यह जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी), नगर निगम, नई दिल्ली नगर पालिका परिषद, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और दिल्ली छावनी के पास है। इनमें आपस में सामंजस्य नहीं होने से नालों के रखरखाव सफाई में परेशानी होती है।
Next Story